ज्वालामुखी
जो मैंने , तुमने और हर लड़की ने सहा है
अब न रुकूंगी मैं , अब और ना सहूंगी मैं
दामिनी हूँ मैं , शक्ति हूँ मैं
मैं ही जननी हूँ , मेरा तुम पर उपकार है
आज हुआ ये जो बलात्कार है ,
यह उसी जननी की अस्मिता पे वार है
काली हूँ मैं , अब वेह्शियों का करना नरसंहार है
संभल जाओ , यह तुम्हारे दूध को ललकार है
हिंदुस्तान हो गया था कब का आज़ाद ,
पर आज भी यहाँ का आदमी घिनोनी सोच में गिरफ्तार है
कुंठित हूँ मैं , की आखिर क्यूं ये आदमी हो गया जानवर से बदतर
ऐसे आदमी होने को धिक्कार है , धिक्कार है
- मीनाक्षी ( 24 दिसम्बर , 2012 )
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