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Showing posts from December, 2012

Nirbhaya

निर्भय तुमने बहुत सहा ,उन्होंने कुछ न कहा तुम चुप चाप कराहती रही ,यहाँ लाठियां बरसती रहीं तुम सदा के लिए सो गयी ,पर जगा कर गयी हम सबको छोड़ गयी इन आँखों में सैलाब,शर्म, गुस्सा और दधकती आग त्राहि त्राहि सब ओर,यह कैसा समाज, ये कैसा समय तुम्हारा बलिदान अमूल्य, पुकारता निर्भय, निर्भय   - मीनाक्षी ( 29 दिसम्बर , 2012 )

ज्वालामुखी

ज्वालामुखी  बरसों बाद फूटा है ये ज्वाला  जो मैंने , तुमने और हर लड़की ने सहा है  अब न रुकूंगी मैं , अब और ना सहूंगी मैं  दामिनी हूँ मैं , शक्ति हूँ मैं  मैं ही जननी हूँ , मेरा तुम पर उपकार है  आज हुआ ये जो बलात्कार है , यह उसी जननी की अस्मिता पे वार है  काली हूँ मैं , अब वेह्शियों का करना नरसंहार है  संभल जाओ , यह तुम्हारे दूध को ललकार है  हिंदुस्तान हो गया था कब का आज़ाद , पर आज भी यहाँ का आदमी घिनोनी सोच में गिरफ्तार है  कुंठित हूँ मैं , की आखिर क्यूं ये आदमी हो गया जानवर से बदतर  ऐसे आदमी होने को धिक्कार है , धिक्कार है  - मीनाक्षी ( 24 दिसम्बर , 2012 )

Desh taiyaar hai

आज इंडिया गेट में मचा हाहाकार है   उबल रहा है हर युवा ,  के संभल जाओ , बहोत हुआ  करो इन्साफ , ये गुस्सा है  हर लड़की की चीत्कार है  मांग है , बराबरी से जीने का अधिकार है  तड़प जाएँ वो वेहशी , जिन्होंने किया भारत माँ की अस्मिता पे वार है  कराह रही है दामिनी , कराह रहा है देश  पुलिस बरसाती लाठियां , आंसू गैस की बोछार है  मुंह छुपा कर बैठें है देश के सरंक्षक , गूंगी बहरी पत्थर सरकार है अब हरे और सन्तरी रंगों से अलग न कर सकोगे हमको हम कमज़ोर नहीं हैं अब , एकजुट तैयार हैं अब उठेगा जनाज़ा इस सरकार का ग़र इक और बरसी लाठी यहाँ की यह अमानवीय है , जनता का तिरस्कार है न सहेंगे और हम, न थमेंगे अब कदम के अब कफ़न बांधे खड़ा है हर युवा ख़बरदार है, तैयार है - मीनाक्षी ( दिसम्बर 23, 2012)

Only When...

Only When... Only when You can see  Yourself, within me Only then its love Euphoric and free Only when you shed that all And Become a child Only then we can discover Go wet and wild Only when You wipe off that dust The mirror will get crystal clear Only then we can see each other....