खून
काश के खून भी पानी जैसा होता
न जमता , न जलता , न काला पड़ जाता
काश के खून भी पानी जैसा होता
उन्माद सा बहता , उमड़ता
बिना भेद भाव के , बिना रंग राग के
बस अपने आगोश में ले लेता
फिर एक रंग हो कर लहरों सा झूमता
काश के खून भी पानी जैसा होता
काश...
- मीनाक्षी
काश के खून भी पानी जैसा होता
न जमता , न जलता , न काला पड़ जाता
काश के खून भी पानी जैसा होता
उन्माद सा बहता , उमड़ता
बिना भेद भाव के , बिना रंग राग के
बस अपने आगोश में ले लेता
फिर एक रंग हो कर लहरों सा झूमता
काश के खून भी पानी जैसा होता
काश...
- मीनाक्षी
बहुत खूब ... ये खून पानी हो जाए सबका तो एक सा हो जायेगा ...
ReplyDeleteसब एक होंगे ... एक ही बेरंग रंग में रंगे ...
Thanks for resonance.
Deleteकाश खून भी पानी जैसे होता क्या कल्पना की है मीनाक्षी जी ,बहुत ही सुन्दर प्रस्तुती।
ReplyDeleteShukriya
DeleteAap sabka bahut bahut shukriya
ReplyDeletehausla afzai key liye shukriya.
ReplyDeleteanugraheet,
Meenakshi
काश! ऐसा होता. खैर बहुत उम्दा कविता कही है आपने.
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