प्रीत के फूल कुछ शिकवें हैं नासूर से, अंगारों से दफ्न हैं मेरी सिम्त में दहकते सिन्दूरी लाल ना छेड़ो इन्हें कि ज्वालामुखी फूट जाएंगे इंतेज़ार है तो बस उस बरसात का जब ये दह्कते शोले बर्फ़ हो जायेंगे इस ग़र्म बेनूर राख़ में प्रीत भरे रिश्तों के फूल खिल आएंगे -मीनाक्षी
Sweet & Sour Words - Mirror of a gypsy's soul